तस्वीरों में देखिए एक पाठशाला, जहां बच्चे गलन भरी ठंड में जमीन पर बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं। जबकि इन स्कूलों को स्मार्ट बनाने के नाम पर शिक्षा विभाग को इनाम मिलने जा रहा है।


फिरोजपुर जिले में ऐसे सैकड़ों स्कूल हैं, लेकिन शिक्षा विभाग सरकारी प्राइमरी स्कूलों को स्मार्ट बनाने के नाम पर 11 जनवरी को दिल्ली में राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित होने जा रहा है। गांव अलीके के स्कूल में 349 बच्चों के लिए चार कमरे हैं और 60 बैंच हैं। इनमें से तीस बैंच टूटे हैं। इतने बैंचों पर सिर्फ 120 बच्चे ही बैठकर पढ़ सकते हैं। कमरों की छतें जर्जर हैं, लेकिन रंग-रोगन कर इन्हें चमका दिया गया है। बारिश में छत से पानी रिसता है और क्लास रूम भर जाता है। एक कक्षा में 50 से अधिक बच्चे हैं, जबकि 30 होने चाहिएं। सुबह 10.33 बजे स्कूल पहुंचे तो बच्चे जमीन पर बैठे ठिठुर रहे थे। इसके बाद एक निर्माणाधीन घर में पहुंचे, जहां इसी स्कूल के बच्चों की कक्षाएं छत पर लगी हुई थीं। ग्रामीण सुरजीत सिंह और मंगल सिंह ने बताया कि कुछ दिन पहले स्कूल गांव के गुरुद्वारे में लग रहा था।


वहीं शिक्षकों का कहना है कि स्मार्ट स्कूल का मतलब स्कूल के सभी कमरों में ई-कंटेंट (स्क्रीन प्रोजेक्ट), दीवारों पर अच्छी तस्वीरें, इंग्लिश मीडियम, बच्चे टाइ-बेल्ट बांधकर आएं, शुद्ध पीने का पानी, फर्नीचर, मजबूत कमरों के अलावा अन्य और चीजें हैं। जो स्कूल इन सभी जरूरतों को पूरी करता हो, उसे स्मार्ट स्कूल कहते हैं। पंजाब के सरकारी स्कूलों में तो स्टाफ ही पूरा नहीं है, उपरोक्त सुविधाएं तो दूर की बात हैं उप जिला शिक्षा अधिकारी (प्राइमरी) सुखविंदर सिंह का कहना है कि 838 प्राइमरी स्कूलों में से 638 को स्मार्ट स्कूल में तब्दील किया है। 656 आरओ लगाए गए हैं, 124 क्लास रूम बनाए गए हैं। 11 शौचालयों का निर्माण किया गया है। 217 अपर प्राइमरी स्कूलों में सेनेटरी नेपकिन वेंडिंग मशीन स्थापित की गई है। 17 करोड़ रुपये खर्च किया गया है। डीईओ ने बताया कि अलीके स्कूल के छह कमरे मंजूर हो चुके हैं। जल्द ही ग्रांट जारी की जाएगी। स्कूलों में स्टाफ भी पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है।
